शनि चालीसा हिंदी में | Shani Chalisa lyrics in Hindi PDF

शनि चालीसा हिंदी में | Shani Chalisa lyrics in Hindi PDF | Shani Chalisa Lyrics in Hindi: श्री शनिदेव की कृपा प्राप्त करने का सरल उपाय है। श्री शनि चालीसा का पाठ, शनिवार के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए करें। आप शनि चालीसा का पाठ किसी मंदिर में, पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा। आप चाहें तो घर में भी शाम के समय शनि चालीसा का पाठ कर सकते हैं।

Shani Chalisa lyrics in Hindi PDF
Shani Chalisa lyrics in Hindi PDF

शनि चालीसा हिंदी में | Shani Chalisa lyrics in Hindi

!! दोहा !!

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।

दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल ॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज ।

करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ॥

अर्थ : गिरिजा पुत्र भगबान गणेश जी की जय हो, आप सभी भक्तो के मंगल करने वाले है ! आप दीन दुखियों के दुःख दूर करते है और अपने भक्तो का मंगल करते है !

जय हो शनि देव की आप भक्तो की अरज सुनकर उनपर कृपा करें और अपने भक्तो की लाज की रक्षा करें !

Shani Chalisa Lyrics

!! चौपाई !!

जयति जयति शनिदेव दयाला ! करत सदा भक्तन प्रतिपाला !!

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै ! माथे रतन मुकुट छबि छाजै ॥

अर्थ : हे शनि देव आपकी सदा ही जय हो , आप अपने भक्तो का सदैव पालन करते है ! हे शनि देव आपकी चार भुजाएं है और श्याम लता आपके शारीर पे शोभा दे रही है ! और आपके माथे पर रत्न से सजा मुकुट विराजमान है !

परम विशाल मनोहर भाला । टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके । हिय माल मुक्तन मणि दमके ॥

अर्थ : आपका मस्तक बहोत ही विशाल है जो की भक्तो के  मन को मोहित कर देता है ! प्रभु आपकी भौवें काफी विकराल दिखती है और आपके दोनों कानो में सुंदर कुंडल चमक रहे है ! आपके शारीर पे मोतियों की माला बहोत ही शोभनीय है !

कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥

पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन । यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन ॥

अर्थ : प्रभु आपके हाथो में गदा और त्रिशूल शोभा बढ़ा रही है जो की पल भर में असुरों का संहार कर सकते है ! आप अपने भक्तो के दुःख को विनाश करने वाले है आपके ऊपर कृष्ण की छाया है, जिस से की आप अपने भक्तो का दुःख हर लेते है !

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा । भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं । रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं ॥

अर्थ : हे शनि महाराज आपके 10 नाम है – सौरी, मंद , शनी , सुर्यपुत्र आदि ! जो आपके भक्त है जो आपके नाम का जप करते है उनका सब काम सफल हो जाता है ! जिन भक्तो पर आप प्रसन्न हो जाते है, उसे आप पलक झपकते उसे राजा बना देते है !

पर्वतहू तृण होई निहारत । तृणहू को पर्वत करि डारत ॥

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो । कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥

अर्थ : हे शनि देव आपकी दृष्टी जिस पे पर जाती है वो चाहे पर्वत जैसा विशाल हो फिर भी वो तिनके जैसा बन जाता है ! आप यदि चाह ले तो तिनका भी पर्वत बन जाता है ! प्रभु श्री राम जब राजा बनने वाले थे, उस समय आपने कैकयी का मति को भ्रष्ट कर प्रभु श्री राम जी को वन में भेज दिया !

बनहूँ में मृग कपट दिखाई । मातु जानकी गई चुराई ॥

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा । मचिगा दल में हाहाकारा ॥

अर्थ : हे शनि देव आपने ही वन में सोने की हिरन को माँ जानकी को दिखाया जिस से की माँ सीता जी का हरण हुआ ! और जब शक्ति वाण का प्रहार लक्षमन  जी पे हुआ तब अपने लक्ष्मण जी को मूर्छित कर दिया ! उस के बाद प्रभु श्री राम जी की सेना में दुःख की लहर दौर गयी !  

रावण की गति-मति बौराई । रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥

दियो कीट करि कंचन लंका । बजि बजरंग बीर की डंका ॥

अर्थ : हे शनि देव आपने रावण जैसे महाज्ञानी की बुद्धि को भ्रष्ट कर दिया , इस कारण रावण ने प्रभु श्री राम जी से युद्ध किया ! इसके बाद आपने  ने सोने की लंका को मिट्टी में मिला दिया और वीर हनुमान जी के यश को और बढ़ा दिया !

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा । चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥

हार नौलखा लाग्यो चोरी । हाथ पैर डरवायो तोरी ॥

अर्थ : जब आप ने राजा विक्रमादित्य पे हावी हो गये फिर दिवार पे मोर की तंगी तस्वीर ने रानी का नौलक्खा हार को निगल लिया ! उस हार की चोरी में विक्रमादित्य को अपने हाथ और पैर तुरवाने पड़े थे !

भारी दशा निकृष्ट दिखायो । तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥

विनय राग दीपक महं कीन्हयों । तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥

अर्थ : विक्रमादित्य की अपने इतनी बुरी दशा कर दी की उसे तेली के घर में रह कर कोल्हू चलाना पड़ा था ! फिर विक्रमादित्य ने अप से विनय पूर्वक राग दीपक जला कर आपसे विनती की तब आप उन पर प्रसन्न हो कर उन्हें सुख प्रदान किया !

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी । आपहुं भरे डोम घर पानी ॥

तैसे नल पर दशा सिरानी । भूंजी-मीन कूद गई पानी ॥

अर्थ : प्रभु आपकी बुरी दृष्टी जब राजा हरिशचन्द्र पे पड़ी तब उन्हें अपनी पत्नी को बेचना पड़ा, और उन्हें डोम के घर पानी भरने का काम करना पड़ा ! जब आपकी टेढ़ी दृष्टी पड़ी नल पर फिर तली हुयी मछली भी पानी में कुद गयी !

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई । पारवती को सती कराई ॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा । नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥

अर्थ : हे शनि देव जब आपकी दृष्टी भगवान शंकर पे पर गयी फिर माँ पार्वती  को हवन कुंड में जल कर भष्म होना पड़ा ! जब आपने पार्वती पुत्र गणेश जी को क्रोध से देखा फिर उनका सर कट कर आकाश में उड़ गया !

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी । बची द्रौपदी होति उघारी ॥

कौरव के भी गति मति मारयो । युद्ध महाभारत करि डारयो ॥

अर्थ : जब पांचो पांडव पर शनि दशा आई फिर उनकी पत्नी द्रोपदी का वस्त्र का हरण हुआ ! आपने पांडव के विवेक का हरण किया  जिस से की वो महाभारत जैसा भयानक युद्ध कर कौरवो का संहार किया !

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला । लेकर कूदि परयो पाताला ॥

शेष देव-लखि विनती लाई । रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥

अर्थ : हे शनि देव आपने सूर्य को अपने मुंह में डाल कर आप पाताल लोक में चले गए ! फिर सभी देवी देवताओं ने आप से विनती की फिर अपने मुख से सूर्य को बाहर निकाला !

वाहन प्रभु के सात सुजाना । जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी । सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥

अर्थ : हे शनि देव आपके पास 7 तरह के वाहन है – हाथी, घोडा, कुत्ता, गधा, हिरण, शेर और सियार ! इसलिए आपको सर्वविदित कहा जाता है ! ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आपके सभी वाहनों के अलग – अलग फल बताये गए है जिस से आप अपने भक्तो के दुश्मनों  की मति फेर देते है !  

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं । हय ते सुख सम्पति उपजावैं ॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा । सिंह सिद्धकर राज समाजा ॥

अर्थ: ऐसा माना  जाता है की हाथी यदि वाहन हो तो घर में लक्षी जी का आगमन होता है, वही घोडा वाहन हो तो घर में सुख समृद्धि आती है ! यदि गधा वाहन हो तो घर में हानि होती है और सारे काम आपके बिगड जाते है ! सिंह की सवारी हो तो आपको सारे समाज में यश की वृद्धि होती है ! 

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै । मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी । चोरी आदि होय डर भारी ॥

अर्थ : ऐसा माना जाता है की यदि सियार वाहन हो तो बुद्धि और विवेक नष्ट हो जाता है , वही हिरण यदि वाहन के रूप में हो तो आप दुःख देकर प्राणों का संहार कर देते है ! जब आप कुत्ते का वाहन कर आते है तब घरो में चोरियां होती है , और भय सब से ज्यादा उत्पन्न हो जाता है !

तैसहि चारि चरण यह नामा । स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं । धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥

अर्थ : यदि कोई छोटे बच्चे का पैर उसे दिखाई देता है, ये पैर सोने, चांदी, ताम्बा या लोहे का हो सकता है ! जब शनि महाराज आप लोहे के पैर में आते है तब धन और सम्प्पति आप नष्ट कर उसका विनाश कर देते है !

समता ताम्र रजत शुभकारी । स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी ॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै । कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥

अर्थ : आप प्रभु जब चांदी या ताम्बे के पैरों से आते है तो ये बहोत ही मंगलमय माना जाता है ! वही आप जब सोने के पैरो से आगमन करते है फिर आप अपने भक्तो का मंगल करते है ! जो भी भक्त शनि महाराज की नित्य पाठ करता है उसके आप सारे भय को नष्ट कर देते है ! उसे कभी भी बुरी शनि दशा नही आती वो हमेशा परमसुख को प्राप्त होता है !

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला । करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई । विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥ 

अर्थ : हे शनि देव आप अन्तर्यामी है प्रभु आपकी लीला देख कर शत्रुओं का बल नष्ट हो जाता है ! जो भी भक्त पंडित को बुला कर विधि – विधान से शनि चालीसा की पाठ करवाते है उनकी शनि दशा शांत हो जाती है !

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत । दीप दान दै बहु सुख पावत ॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा । शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥

अर्थ : जो भक्त शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पे जल चढ़ाता है और दिया जलाते है उनके दुःख दूर हो जाते है वो सारे सुख को भोगते है ! प्रभु के सेवक राम सुंदर जी कहते है की जो भी शनि महाराज जी की पूजा विधि विधान से करते है उनके सारे दुःख दूर हो जाते है !

!! दोहा !!

पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार । करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥

अर्थ : जो भक्त इस शनि देव के पाठ को 40 दिन तक करता है, उनपे प्रभु शनि महाराज की कृपा सदैव  बनी रहती है ! वो सारे दुखों से दूर हो जाते है और वो भवसागर को पार कर परमधाम को प्राप्त होते है !

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